किताबें.

किताबे,पुस्तक और बुक्स इन तीनो ही शब्दों के मायने एक है लेकिन एक है "किताब" जो क़ुरान है,जो गीता है और गुरु ग्रन्थ साहिब है और दूसरी है "पुस्तक" जो किसी भी हिंदी साहित्य के बड़े रचनाकार और पाठक के मुंह से हम सुन सकतें है और तीसरी है "बुक" यानी "दी बुक ऑफ़ एलाई" बाइबिल | आपको लग रहा है ये तो सभी को पता है इसमें बताने वाली क्या बात है ? लेकिन है आप देखिये गिने,तोले और नपे शब्दों के मानिंद बनी और एक जगह कुछ पन्नो में किसी कवर के बीच मौजूद ये किताबे कितनी है जो हर धर्म,विचार और हिसं से लेकर अलग अलग जगहों पर मौजूद है और हमेशा रही है क्यूंकि किताबें ऐसी चीज़ है जो इन्सान को जिंदा रखती है |

किताबें इन्सान को जिंदा रखती है इसका मतलब ये नही है उसमे एनर्जी है उनमे प्रोटीन है लेकिन ये किताबें ही है जो "इन्सान" को सलीका देती है ,वरना ऐसी क्या वजह है आज से 1400 साल पहले लिखी गयी एक किताब "क़ुरान" आज भी करोड़ों लोगों को ये बता रही है "तुम सभी इंसान एक ही माँ बाप की औलाद हो और तुममे कोई ऊंच नीच नही है" है न अद्भुत | यह किताब ही तो है जो "मार्क्स" को आज  भी जिंदा रखें है और तमाम दुनिया को ये बता रहा है की "दुनिया के तमाम मजदूरों एक हो जाओ"ये "किताब" ही की कुव्वत है जी आज इन सभी का नाम हम याद ररखें है और बोल रहें है वरना क्या "गीता" के द्वारा  श्री कृष्ण के उपदेश हम तक पहुँच पाते? नही बिलकुल नही

किताबें जिंदगी बदलती है इसका उदाहरण किसी और पर न देतें हुए मै अपने साथ हुई एक बात पर याद करते हुए दे सकता हूँ,बारहवी क्लास में पढ़ी एक कहानी "सूरदास की झोपडी" के नीचे उस कहानी की जगह लिखी थी ,मेने वो देखी वहां "रंगभूमि" लिखा था,मुझे नही पता था ये रंगभूमी क्या है मेने वो किताब मंगवाई और उसे पढ़ा,यकीन मानिए उस किताब को पढ़ कर जेसे मै उसी ज़माने में पहुँच गया और हर एक चीज़ हर एक वजह को जानने और समझने लगा,और ये महज़ एक किताब से और उसकी वजह से ये बहुत अहम पहलु था जो मेरे साथ घटा और इसने मुझे इतना बदला की आज मै पढने के लिए एक एक नई नई किताबें ढूंढता हूँ और ये हुआ सिर्फ  किताबों से ही |

किताबे सिर्फ इसलिए अहम नही है की हमने महज़ एक किताब खरीद ली और उसे पढ़ा नही हर एक किताब में एक समाज होता है एक कहानी होती है एक दास्ताँ होती है आस पास ही कही ग़ुम रही होती है और उसे एक रायटर शब्दों में उतार कर कैद करता है जहाँ वो हमेशा के लिए अमर  हो जाती है | एक एक कहानी और एक एक 'केरेक्टर' जेसे "रोमियों और जूलियट" हुए जेसे "सूरदास" हुआ जेसे 'हैरी पॉटर" हुआ जेसे "गेम ओफ थ्रोंस" हुए बस हर एक केरेक्टर हर एक कहानी और हर एक ऐतिहासिक दास्ताँ वहां रुक जाती है आने वाले समय के लिए और हमेशा के लिए रह जाती है हमारे ही बीच यह इन किताबों की अहमियत है |


किताबो के बारे में लिखा जाना सम्भव नही है क्यूंकि इनके बारे में जितना लिखा जाएँ वो कम है ,क्यूंकि किताब सिखाती है बताती है और एक एक तरीकें से सराबोर करती है,हर एक वक़्त और मुकम्मल दास्ताँ को बयान करने की चीज़ है किताब,लेकिन इनसे दूरी जेसे हमे खोखला कर रही है खा रही है और हम तर्क से,समझ से और चिन्तन से दूर रहें है तो इसके पीछे वजह यही है की हम "किताबे" नहीं पढ़ रहें है और जो पढ़ रहें है वो हरगिज़ कामयाब है | इसलिए किताबे पढ़िए जब भी जितना भी हो क्यूंकि किसी ने कहा है जितनी इज्जत आप इनकी करेंगे उतनी इज्जत ये आपकी कराएंगी भी ... तो खुद सोचिये और फैसला लीजिये इस अद्भुत चीज़ के बारे में .....

असद शैख़

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