ज़िम्मेदारी और हालात ...
मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया एक 'हीरो' की तरह,और उसके पीछे उन्होंने वजह बताई दलितों पर होने वाले अत्याचार पर न बोले जाने देना,अब इस प्रकरण के तमाम राजनितिक,सामाजिक और वैचारिक मतभेद बुराई और अच्छाई को हटा कर सोचिये की इस्तीफा देना कितनी बड़ी बात है और सिर्फ बात मायावती की नही है बात है विरोध दर्ज करा देने की,और अपने समाज के साथ खड़े हो जाने की उनके दुःख को अपना समझ पाने की,लेकिन आप इसी स्थिति को थोड़ा सा पलट दीजिये तो आपको एक ऐसा समाज नजर आएगा जो न इस्तीफा देना जानता है,न विरोध दर्ज कराना जानता है | कुछ ध्यान आया? ये समाज मुस्लिम समाज है जो "राजनीति' के तहत ही सही दे तो मगर 'इस्तीफा' देना जानता ही नही है,विरोध दर्ज कराना जानता ही नही है ,जिसके लिए और जिसके "नेताओ" के लिए इन चीजों के मायने है ही नही | आज से तकरीबन चार साल पहले मुज़फ्फरनगर में आग लगी थी,दंगों की आग पूरा ज़िला दंगे की चपेट में था,हजारों की तादाद में मुस्लिम समाज के लोग बेघर हो गये थे,सेकड़ों मारे गये थे,हालात ये हो गयें थे की सडक पर सेना को उतरना पड़ा था,चलिए जी किसी तरह हालत स्थि