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Showing posts from April 1, 2016

टोटली जय

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सारी विवादित चिंताओं से परे एक बूढी और बेहद कमज़ोर महिला को जब आज देखा तो समझ कुछ नही आया क्योंकि उसके हालात ये थे की वो फूलो को माला (जो शायद उसने खुद ही बनाई थी) ज़बरदस्ती गाडियो में डाल रही थी लेकिन एक भी खरीददार नही था और जब उसने एक गाडी में माला डाली तो गाडी मालिक समेत बेठे किसी भी शख्स उसकी तरफ देखा भी नही और वो गाड़ी के पीछे भागने लगी तभी गाड़ी से वो माला उस बूढी औरत पर फ़ेंक दी गयी और वो औरत अपने दुबले बदन और झुर्रियों से भरे चेहरे के साथ शायद भूखी भी हो वापस हट गयी लेकिन उस बूढी और कमज़ोर औरत ने भीख नही मांगी तब मुझे ख्याल आया की ये कोंन है और दिल से आवाज़ आई की यही "भारत माता" है क्योंकी ये औरत न तो देश से झूट बोल रही है और न ही देश को खोखला कर रही है और हिन्दू मुसलमानो को तो बाँट ही नही रही और इसकी जय कहने में कम से कम मुझे कोई समस्या नही है क्योंकि ये देश के लिए जी रही है और मेहनत से अपना पेट आधा ही सही भर रही है। और रही बात असदउद्दीन साहब, भगवत साहब , योगी जी और महाराष्ट्र के तमाम नेताओ समेत उन लोगो की जो ज़बरदस्ती किसी से भी भारत माता कहलाना चाहते है या  की  उन लोगो की

टाइटल

"अरे ये न्यूज़ वाले तो दल्ले होते है" ये वाक्य हालाँकि सभ्य समाज के लिए बेहतर नही है और में खुद भी इस तरह की भाषा का समर्थन नही करता लेकिन जब एक आम से लड़के के मुंह से ये वाक्य सुने तो हैरत हुई क्योंकि उसका मीडिया से तो  सम्बन्ध नही है लेकिन जब मेने इस तरह की बात कहने की वजह पूछी तो वो सच में गौर करने की उसका कहना ये है की "क्रिकेट मैच के लिए 1 घण्टे का शो करलो2 का 3 करलो मगर हद होती है जब एंकर से लेकर होस्ट तक सब के ड्रेस्सेस बदल कर खूब मज़े से शो करते है और बाकी खबरे चाहे किसी की जान की हो गयी भाड़ में" ये वजह गलत ये सही हो सकती है मगर है गौर करने वाली क्योंकि जब भारत की हार का रोना सारे मीडिया हॉउस रो रहे थे जब मलबे में दबी लाशो को कोलकाता में निकाला जा रहा था अब सोचना भी पड़ेगा ही की आखिर चौथा खम्बा इस तरह कैसे बंट गया?? ये सवाल या इस जेसे सवाल बहुत बार उठते तो है मगर इसका कोई हल होता नही टीवी पेनल्स पर नसे फुला फुला कर राष्ट्रभक्ति सिद्ध करना हो या दो धर्मो के लोगो की आपस में जंग कराना हो वो भी तब जब कोई हल न हो (चैनल की टीआरपी बढ़ना अलग है) बस इन जेसी बातों को सबसे