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Showing posts from April 11, 2016

धर्मिकता और यथार्त

अरे बड़बड़ाते हुए कुछ भी बोल लेना या नफरत फ़ैलाने की कोशिश कर लेना लेकिन इतना ज़रूर याद रखना की आपकी नफरत उस रात की तरह है जिसकी सुबह ज़रूर होगी फिर चाहे वो जातिवाद को लेकर हो धर्म को लेकर हो या क्षेत्र को लेकर हो ये नफरत और इसे फ़ैलाने वाले एक न एक दी जड़ से खत्म हो जायेंगे लेकिन ये च्यवनप्राश नही है जी खाया और फायदा हो गया उन नफरत फ़ैलाने वाले और बाँटने वालो से मिलकर लड़ना होगा और प्लीज लड़ाई का मतलब जंग नही है इसका मतलब महज़ इतना है की अगर कोई भी किसी धर्म विशेष के या जाति विशेष के खिलाफ नफरत उगलता है तो उगले हुए को उसके मुंह पर दे मारो। अगर धोखे से भी कोई भी धर्म का हवाला दे तो कहदो देख अगर तेरा भगवान तेरा खुदा किसी बेगुनाह को मारने को कहता है तो में तेरे खुदा को नहीं मानता क्योंकि मेरे खुदा के में तो अपने खुदा को मानता जिसके तो पैग़म्बर भी कहते है की तामाम इंसान ऐसे बराबर है जेसे कनकी के एक एक दाने तो जातिवाद ,धर्मवाद का ड्रामा तो खत्म बस ईश्वरीय कानून के हिसाब से काम करिये और मिलजुल कर रहिये।