धर्मिकता और यथार्त
अरे बड़बड़ाते हुए कुछ भी बोल लेना या नफरत फ़ैलाने की कोशिश कर लेना लेकिन इतना ज़रूर याद रखना की आपकी नफरत उस रात की तरह है जिसकी सुबह ज़रूर होगी फिर चाहे वो जातिवाद को लेकर हो धर्म ...
यह जो दुनिया में हो रहा है और यह जो दुनिया में होता है यह सब " फज़ीता " ही तो है...