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Showing posts from May 30, 2016

मुस्लिम रहनुमाई

एक समाज के लिए,एक देश के लिए,एल कल्चर के लिए और क़ौम के लिए 10 से 20 साल सम्भलने के लिए अपने अपने आप को सुधारने के लिए बहुत होता है ,आज़ादी के बाद से 20 साल के भीतर दलितों की समस्याओं के कुछ समाधान होने लगे थे,40 साल बाद वो लगभग सबके बराबर आ खड़ी हुई थी ,दलितों के नाम पर ही सही राजनीतिक पार्टी तैयार ही चुकी थी सरकारी नौकरियों में दलित समाज पहुँच रहा था ,वो शिक्षित हो रहे थे, इसमें गौरतलब करने वाली बात ये भी है की दलितों को आज तक भी एक कथित ऊँचा तबका नीची नज़रों से देखता है मगर फिर भी ये समाज अपनी ताक़त को समझ रहा था,अपना हक़ जान रहा था मगर अगर लगभग उसी की बराबरी की देश में तादाद वाले मुस्लिम समाज की बात करे तो उसके मामले को राजनेतिक,आर्थिक से लेकर सामजिक सभी मामलात को साम्प्रदायिक नज़रो से देखा गया, हालात तब और खराब हुए जब यूपीए की पहली सरकार ने सच्चर कमिटी का गठन कर मुस्लिम समुदाय की आर्थिक स्तिथि जानने की करी तो उस रिपोर्ट पर भी साम्प्रदायिक होने का आरोप लगा वजह कुछ भी हो मुस्लिम साम्प्रदायिकता की बली ही चढे। सच्चर कमिटी के अनुसार मिली जानकारी के मुताबिक मुस्लिम आर्थिक ,सामाजिक, शैक्षिक आध