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Showing posts from August 12, 2016

"राष्ट्रवादिता से मुलाक़ात"

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में आज आपसे राष्ट्रवाद के मायने नही पूछ रहा हु, न ही मायने बता रहा हु बस एक स्तिथि बताऊंगा जो शायद आपके सामने बहुत कुछ पेश कर दूंगा.... में कनॉट प्लेस में घुम रहा था, जी हा कनाट प्लेस बड़ी बड़ी बिल्डिंग और महंगी गाडियों के साथ मॉडर्न और स्टाइलिश लोगों की भीड़ वाला इलाका जहा बड़ी तादाद में कई जोड़े साथ में थे, माँ बाप महंगी महंगी कारों में बच्चों को वाल्क पर चाट खिलाने आये हुए थे. में अपने दोस्त के साथ वहा से घर की तरफ वापसी के लिए चल रहा था, तभी मेरी नज़र राजीव चौक मेट्रो के से कुछ मीटर दूर बेठी एक औरत पर पड़ी जिसे शायद देखें तो पास भी जाना न चाहे में भी उसे देखता हुआ निकल रहा था लेकिन मेरी नज़र उसके पास रखे सामान पर पड़ी में रुक गया और और उस औरत के पास गया. मेने पास जाकर देखा तो वो गुब्बारें फुला रही थी, और एक गन्दी (समाज के लिए) बच्ची इधर से उधर फिर रही थी , में उस औरत के पास जाकर बेठा और मेने देखा की वो लगभग गन्दगी में बेठी थी, और एक बोरे पर बेठी जिसपर कुछ गुब्बारे रखे थे, खैर मेने पूछा ये गुब्बारा कितने का है? वो बोली "20 रूपये का है" मेने कहा एक फुला कर दिखाओं उस औरत ने ऐसा ही