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Showing posts from March 25, 2016

विचारो को जंग

किसी भी विचार में या कार्य में मतभेद होना आम बात है इसी तरह राजनेतिक रूप् से साम्यवादी होना या पूंजीपति होना या सामन्तवादी होना आम सी बात है मगर में एक सवाल पूछता हु की अगर आपकी विचारधारा में कोई खोट है तो क्या आप खड़े होकर उसे चुनौती देंगे ये गलत है क्या मिलेगी इतनी "आज़ादी" आपको?नही क्योंकि शायद आप उस विचारधारा के भक्त है प्रशंसक नही इसलिए ये सोचें भी न चलिए दूसरी बात किसी भी विचारधारा पर पूर्ण रूप से यकीन नही करना जेसे मार्क्सवाद का में प्रशंसक हु परन्तु मुझे उसमे नास्तिक होना नापसन्द है और हा इससे न तो में नास्तिक हुआ और न ही ये मेरी तारीफ समझ लीजियेगा क्योंकि ये एक उदाहरण बस अगर इन चीज़ों का ध्यान रख कर चाहे किसी भी विचारधारा में जाये बेझिझक सवाल पूछ पायँगे और बुरे को बुरा कह पायँगे क्योंकि हम सिर्फ प्रशंसक हो "भक्त" नही।।

बसपा और दलित

बसपा को दलितो के हित में कहने वाले पता नही किस कारण बसपा को दलित मसीहा पार्टी या दलित हितकारी पार्टी कह सकते है क्योंकि जो दल पूर्ण रूप बहुमत में आने के बाद भी डॉ आंबेडकर के सिद्धान्त "शिक्षित रहो" के लिए कुछ भी न कर पाया हो क्या उसे दलितों के हित में कहा जा सकता है। बाकी जाति तो अपने विकास की बात तो छोड़ ही दे जब बसपा सरकार ने ही आंबेडकर के एक और सिद्धान्त गरीबो के लिए काम करने के लिए जगह बड़ी बड़ी मुर्तिया बनायीं गयी । अब इतना तो तय है की कम से कम आंबेडकर के काम वाली पार्टी बसपा तो नही है लेकिन बसपा ज़रूर एक ऐसी पार्टी जो जाति के नाम पर कई तरह के लोगो कप एकत्र करने के बाद कम से कम उन्हें मुस्लिमो का वोट और दलित तो है ही गारंटी देती है मगर जातिवाद के खिलाफ कुछ पूर्ण रूप से बोलती हुई नज़र नही आती है बरहाल ये लोकतंत्र है क्या पता क्या हो सर्वे तो बसपा को समर्थन दे ही रहे है हो सकता है फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बनें मगर वो सरकार दलितों ,मुसलमानो  और शोषितो के लिए "मजबूरी" होगी "मज़बूती" नही..... #वंदे_ईश्वरम