शहनाई के "उस्ताद" बिस्मिल्लाह...

"यहां गंगा है,यहा बाबा विश्वनाथ है,यह हमारे खानदान की कई पुश्तों ने शहनाई बजाई है, अब हम क्या करें मरते दम तक न तो शहनाई छूटेगी और न काशी"(नोबतखाने में इबादत) उस्ताद ज़िंदगी के ,उ...
यह जो दुनिया में हो रहा है और यह जो दुनिया में होता है यह सब " फज़ीता " ही तो है...