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Showing posts from August 20, 2016

शहनाई के "उस्ताद" बिस्मिल्लाह...

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"यहां गंगा है,यहा बाबा विश्वनाथ है,यह हमारे खानदान की कई पुश्तों ने शहनाई बजाई है, अब हम क्या करें मरते दम तक न तो शहनाई छूटेगी और न काशी"(नोबतखाने में इबादत) उस्ताद ज़िंदगी के ,उ...

अब भी नही समझ पाये....

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में कुछ बताना चाहता हु,और पूछना भी चाहता हु और इस बात को बिलकुल भी ज़रूरी न समझे क्योंकि पिछले 500 साल से करते हु भी यही आये हो, जो में बताना चाहता हु वो भी कुछ ख़ास नही है और होगा भी क्...