अब भी नही समझ पाये....

में कुछ बताना चाहता हु,और पूछना भी चाहता हु और इस बात को बिलकुल भी ज़रूरी न समझे क्योंकि पिछले 500 साल से करते हु भी यही आये हो, जो में बताना चाहता हु वो भी कुछ ख़ास नही है और होगा भी क्यों ये कोई तफ़रीह की चीज़ तो है ही नहो और काम की तो बिलकुल है ही नही...

आज से 500 साल पहले ताज महल बनवाया गया था,जिसे मोहब्बत की निशानी के नाम से तमाम दुनिया में जाना जाता है और भारत में आया हुआ हर विदेशी उसे बिना देखें जा भी नही सकता है लेकिन क्या 500 साल पुराने भारतीय इतिहास और उसमे शाहजहाँ जेसे बाशऊर बादशाह का ये कदम आपकों बेहतर लगता है? नही नही बादशाह से डरते हुए नही सोच कर बोलिये... कही से भी तार्किक नही लगेगा,क्योंकि जिस ऐतिहासिक परिदृश्य में शाहजहां बादशाह था और कम से वो अपने समुदाय से वाकिफ़ भी था ,उसे एक बहतरीन यूनिवर्सिटी का निर्माण कराना चाहिए था.

में इतिहास का छात्र नही हु लेकिन इतना जानता हु की उस समय भी सिर्फ ब्राह्मण शिक्षकों द्वारा ही शिक्षा दी जाती थी जिसमे दलित पढ़ाई नही कर सकते थे, और अधिकतर मुस्लिम समाज में पढ़ाई का घर पर इंतेज़ाम होता था तो फिर क्या ये कदम उचित नही था? शायद उचित न लगा रहा हो लेकिन ऐसा ही था.

अगर उस समय से भी पहले यानी 500 साल और पीछे की बात करें तो तब तक ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी का निर्माण लगभग हो चूका था तो इतिहास में सबसे ज़्यादा पैसे की बर्बादी करने वाले बादशाह को क्या इतना भी शऊर नही था वो बादशाह है और एक ऐसे समुदाय से ताल्लुक रखता है जहा शिक्षा का प्रसार प्रचार न के बराबर है,जिस समुदाय से वो ताल्लुक रखता है वहा भी बहुत निर्धन लोग है जो शायद आगे आने वक़्त में शिक्षा ग्रहण नही कर पाएंगे तो क्यों न पढ़ाई का इंतज़ाम किया जाए....लेकिन नही वो दुनिया को अपने नाम का अजूबा देना चाहते है न की पूरी "कौम" को ही.

चलिए गलती हो गयी और इतनी बड़ी गलती को इस गलती को हमेशा भरपूर खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा ही लेकिन अगर 20वीं सदी की करें तो आज कोनसे मुस्लिम समुदाय के नौजवान शिक्षा ग्रहण कर रहे है?? आज भी स्नातक उत्तीर्ण करने वाले महज़ 5 प्रतिशत है लेकिन इसमें एक और दिक्कत है की अब तर्क ये होगा की "साहब मुस्लिम गरीब होता है" तो लापरवाह समुदाय आपकों अमीर होने के लिए महंगे महंगे मोबाइल,बाइक्स,एसीस और आलिशान घरों को छोड़ना होगा और अपने समुदाय के साथ  समझना तब आयगा पैसा क्यों है न...

अब आप गालियां सरकारों देंगे तो में आपकों बता दू आप सरकारो को गाली भी नही दे पाओगें क्योंकि तुमने ऐसो को चुनाव जिताकर भेजा जिनकी तुम "प्रजा" हो वो बस थूक को फ़ेंक फ़ेंक कर भाषण देगा और हिंदुओं से हिफाज़त का वादा करने की बात कहेगा और फिर तुम "ग़ुलाम" हो जाओगेँ 5 सालों के लिए अरे बैसाखी पर झूलने वालों तुम्हें किसी से डर नही होना चाहिए बल्कि जान लेना चाहिए को जो सालों से तुम्हारे मज़हब का न होने बावजूद भी(हिन्दू) तुमहारे साथ है और तुम्हे धोखा देना (मुस्लिम) नेता दोनों में से तुम्हारा दुश्मन कौन है... बरहाल तुम ये भी नही समझोगे..

तुम असल ने पिछले हज़ार सालों से देश में तो हो अपना योगदान भी देते हो लेकिन बस एक ही काम सीखते हो "सरकारों" को बुरा कहना बाक़ी सुधार न तुम खुद करते हो और न करने देते हो पता है क्यों क्योंकि तुमसे तुम्हारे ऐशों  आराम में कमी नहीं करनी , बुराई के खिलाफ कन्धे से कन्धे मिला कर नही चलना बस... अपना मज़ाक उड़ाना ही आता है. और अपने आप को अपने मोहल्ले को "पाकिस्तान" "गन्दा" "खचरों" का इलाका कहलवाने में ही ख़ुशी मिलती है बस बाक़ी और कुछ बोलना भी नही लेकिन हा इतना पता है कोई सर सय्यद आता नही है बनाया जाता है लेकिन तुम तो उसे भी अपना दुश्मन ही समझोगे क्यों है न....

Comments

Popular posts from this blog

असदुद्दीन ओवैसी जिनकी राजनीति सबसे अलग है...

क्या है कांग्रेस की पॉलिटिक्स ?

सर सैयद डे की अहमियत...