धर्म का मामला है

धर्म इस देश का सबसे सेंसिटिव मसला है और जब धर्म सेंसिटिव है तो इससे जुडी हर एक चीज़ सेंसिटिव है यानी इसके मानने वाले और इसेक मसले मसाइल और इसके "मुखिया" भी, मुखिया से मुराद वो लोग है जो इसके बड़े होने का दावा करते है और सबसे ज्यादा दिक्कत इन्ही से शुरू होती है क्यूंकि मीडिया के सामने झट से बोलने वाले और कुछ भी बोलने वाले यही लोग होते है बोल कर चले जाते है और न्य बखेड़ा कर देते है या इनका किया काम "धर्म" की पहचान बन जाता है,ऐसे ही कई मुख्य लोगों पर गौर करते है.
इस फेहरिस्त में पहले है स्वामी ॐ जी जो "हिन्दू" धर्म का चोगा ओढ़े रखते है और भरे टीवी पर खुलेआम महिला के साथ मारपीट कर चुके है और रियलिटी शो बिग बॉस में जाकर तमाम तरह की बातें जोड़ कर शोर और हंगामा कर चुके है और ताज़ा ताज़ा चीज़ है एक नग्न महिला के साथ उनकी तस्वीर आ जाना लेकिन क्या ये हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व करते है?
दसूरे है मोलाना बरकती जी हां पूर्व में टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम जो इमाम नही थे बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रवक्ता की तरह बातें किया करते थे,और ऊल जलुल बयानात देते रहते थे,इसके अलावा सिर्फ और सिर्फ राजनितिक फायदे के लिए इस्लाम का इस्तेमाल करते थे मगर बेहतर ये हुआ की मस्जिद कमिटी ने उन्हें बहर निकाल कर समझदारी का परिणाम दिया.मगर क्या ये इस्लाम का प्रतिनिधित्व करते है??
अंत में आते है बाबा राम रहीम सिंह इंसा जी,जिनके साथ अनेको विवाद जुड़े रहते है,लेकिन अब वो फिल्मकार बन गये है और उसमे डांस आइटम से लेकर कॉमेडी कर रहे है,चलिए सभी की आजादी है मर्जी है लेकिन क्या उन नाम सिख धर्मगुरु के नाम से जुडा नही है और अगर वो ही ऐसा करेंगे तो केसे चलेगा?मगर क्या ये सिख धर्म का प्रतिनधित्व करते है?
प्रतिनधित्व के सवालों का सीधा सा जवाब ये है की इनमे से कोई भी व्यक्ति शायद अपने अपने धर्म को नही जानता है क्यूंकि अगर जान रहा होता तो इस तरह का कार्य नही करता है,और न ही इनेक विवाद धर्म से जुदा है इससे पहले धर्म गुरुओ के मानने वाले ये पूछें की ये लोग क्यों ऐसा नही कर सकते है तो कृपया इन सभी को पता होना चाहिए धर्मगुरु "ऐसा" कुछ करते है नही,बाकी रही बात धर्म की तो ये तीनो धर्म उचित और बेहतर बातों से भरे है जिनमे श्री राम का "आदर्श" और गुरु नानक जी का शांति से भरा जीवन और पैग़म्बर मुहम्मद का "शिष्टाचार" भरपूर है और धर्म का प्रतिनिधित्व इन महापुरुषों के सिद्धांत करते है न की ये धर्म के "मुखिया"...
असद शैख़

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