मंटो जो समाज को आईना दिखाता है ...
मंटो जिसने "विभाजन" देखा,जिसने "इन्सान" को "इन्सान" के हाथो मरते देखा जिसने दो "कोमों" को बंटते हुए देखा और जिसने देखा की केसे "खून" की प्यास इन्सान ही को हो जाती है , ये सब मंटो ने देखा महसूस किया और उसने एक समाज,एक देश,एक कौम को "मजहब" के नाम दो टुकड़े टुकड़े होते देखा और देखा की केसे नफरतें बढ़ते बढ़ते इन्सान ही इन्सान के दुश्मन हो जातें है | ये सब मंटों ने देखा और अपनी बड़ी मगर कम उम्र में देखते देखते आज ही के दिन इस दुनिया को छोड़ कर चले गये | आज ज़िक्र हो रहा है "बदनाम" सआदत हसन मंटो की आज ही के दिन वो दुनिया को छोड़ क्र चलें गयें थे | सआदत हसन मंटों की पैदाइश ब्रिटिश पंजाब में समराला में हुआ था,11 मई 1912 को पैदाइश पाने वाले मंटो ने बटोर रायटर नोवल,शोर्ट स्टोरीज़ और कई नाटक भी लिखे और मंटों का लिखा इस तरह इन्सान को इस तरह असर डालता था इस कदर की लोगों के दिलों दिमाग पर वो असर करता था और भी इससे उन पर "अश्लील" होने के मुकदमे तक चले | अपनी जिंदगी को बिताया नही जिया और उसमे उन्होंने बहुत तकलीफें झेली क