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Showing posts from August 19, 2016

दंगा आज भी "गन्दा" है...

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मुझे क्या मिला? क्या मिला दंगों से ,क्या मिला बलवों से? मुझे क्या हासिल हुआ आग लगाकर इंसानी बस्ती में? क्या हासिल हुआ किसी बरसों से रहते इंसान को उजाड़कर? मुझे क्या हासिल हुआ ज़िंदा लोगों को जला कर? क्या हासिल हुआ घरों को वीरान करकर? क्या हासिल मासूमों को यतीम करके, क्या हासिल हुआ माँ को बेऔलाद करके? कुछ नही सिवाय इसके की दिल में एक "ज़ख्म" बन गया है , जिसे ताउम्र खुद ही कुरेतता रहेगा इस बात के लिए की इन चीज़ों का ज़िम्मेदार में खुद हूँ.... ये कुछ सवाल है इसलिए नही की आप वाह वाही करे,इसलिए नही की आप खुश हो जाएं इस को पढ़ कर बल्कि इसलिए है की हम जो ये गुनाह,ये पाप अपने सर पर 1947 से लेते आयें है, और कब तक लेते रहेंगे ? हम "47" में लाखों इंसानी जानों को खत्म कर चुके सियासत की फांसी चढ़ा चुके है.. हम बिहार के भीषण दंगों में हज़ारों जानों को दांव पर लगाकर सेकड़ो जाने ले चुके है, हम "84" में दिल्ली की सड़कों पर हज़ारों जानों को सरेआम क़त्लेआम कर खत्म कर चुके है और हम इसलिए क्योंकि इन सब के ज़िम्मेदार हम ही है... हम "91" में हज़ारो कश्मीरियों को बेघर कर चुके है, स