स्त्री विमर्श की कमज़ोरी
मुझे इससे ख़ुशी मिलती है में तो यही करुँगी" बहुत आसान लफ़्ज़ों के साथ मेरी ही एक दोस्त ने मेरे उस सवाल का जवाब दिया जिसमे मेने उससे पूछा था की तूम शराब क्यों पीती हो और रातों में अपने बॉयफ्रेंड(झूट का प्यार) के साथ कहा गायब रहती है बेशक ये हमारा समाज बन चूका है बेशक हम इसे तरक्की का नाम दे रहे है लेकिन क्या वाकई में हम सही बात को तरज़ीह दे रहे है या फिर तरक़्क़ी केनाम पर हम ऐसा समाज बना रहे है जहा इस बात का ही पता न हो की लड़की के पेट में पल रहा बच्चा किसका हैया शराब के नशे में धुत होने के बाद यही न पता हो की किस से क्या कहा जा रहा है बदन पर कपडे भी है या नही इस बात का जवाब तो बेशक कुछ न हो मगर इसका मतलब ये नही की इसका आरोप में चौराहो पर चल रही शराब की दुकानों को दू या कथित महिला आज़ाद की ब्रिगेड को दू इस बात का फैसला आप करिये लेकिन हा थोड़ी बहुत समझ के बाद इतना तो बिलकुल जान गया हु इस तरह कोई भी समाज अगर हम बना रहे है या झुटे नाम पर उसे सपोर्ट कर रहे थे तो हम एक बहुत बड़ा गड्ढा बना रहे है बस फ़र्क़ इतना है की पहले हम उसमे गिरेंगे बाद में शायद हमारी औलादे गिरे मगर हम जब तक तरक्की, आज़ादी और खु