शहीदी के मायने
शहीदों के लिए बहुत कार्यक्रम किये जा रहे है लगभग सभी की फेसबुक पर व्हट्सऐप पर भगत सिंह के फ़ोटो लगाये जा रहे है भर भर के याद दिलाया जा रहा है शहीद दिवस हो सकता है सही में शहादत याद हो या हो सकता है महज़ दिखावा हो क्योंकि हमारे देश में हर चीज़ का दिखावा तो खूब होता है पर जिसके नाम पर दिखावा होता है उसकी एक भी बात पर अमल नही होता है भगत सिंह ने अपनी छोटी मगर महान उम्र में सबसे ज़्यादा ज़ोर जिस चीज़ पर दिया वो था"क़ौमी इत्तेहाद" यानि सभी धर्मो में एकता और वो छात्र जानता था की यही सबसे बड़ी समस्या है जो देश को खोखला करेगी और वो ही आज हो रहा है आज के दौर में राजनीतिक दलों को तो छोड़िये छात्र संग़ठन से लेकर आम लोगो में भी एक बीज बोया जा चूका है धर्मिक नफरत जिसे जी भर के फैलाया जा रहस है और उसे हम खुद फैला रहे है या यु कहे 23 मार्च पर शहीद होने वालो का मज़ाक बना रहे है और अगर आपस में हम नफ़रत रखते है फिर किसी भी मुद्दे पर हो तो कम से कम हमे भगत सिंह का नाम लेना नही चाहिए क्योंकि अगर नाम लेकर इतनी नफरते पैदा करी जाने का इरादे है तो भगत सिंह के सारी मूर्ति तोड़ दो मत याद करो भगत सिंह को अगर कुछ कर सकते हो तो बस इतना करो की उनके सिद्धान्त आपसी मुहब्बत को बढ़ावा दो बस इतना ही ये शहीद आपसे चाहते है...
Comments