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Showing posts from November 4, 2016

ताक़ि सड़क शांत न हो...

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धरना,भूख हड़ताल अनशन या किसी और मांग को लेकर प्रोटेस्ट करना,आंदोलन करना इन सारी गतिविधियों को देख कर या ज़्यादा व्यस्त लोगों को ये सब सुनकर केसा लगता है? सोचिये थोड़ा ज़ोर डालिये नही डाल पाएं कहिये न आता होगा "अरें ये तो रोज़ का है" "काम धंधा नही है" या "छोड़ों इन्हें तो कोई काम नही" यही आता है न, क्यों है न... जंतर मंतर से गुज़रियें कभी चारों तरफ देख कर सोचेंगे अरें क्या है लोग, लेकिन क्या है ये लोग का जवाब कभी मिला है आपको? उसका जवाब है कि उम्मीद है वो लोग,आशा है वो लोग लोकतंत्र का हिस्सा है वो लोग , हमारे लिए आम सी बात होती है किसी का धरना प्रदर्शन लेकिन ये धरना कितनी काबिलियत रखता है इस बात का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है कि इसी धरने ने एक आम से वक़ील को 'महात्मा' बना दिया था ,बापू बना दिया था। आपकों शायद धरने से बापू बने बात अजीब लगी होगी लेकिन इसी धरने ने एक "आयरन लेडी" की सरकार उखाड़ फेंका था, "दुर्गा" कही जाने वाली इंदिरा की ज़मानत ज़ब्त करा दी थी ,ये वही आम सा धरना था जिसने इतिहास बदला था और लोगों को एक नई सुबह दी थी अंजाम जो