ताक़ि सड़क शांत न हो...

धरना,भूख हड़ताल अनशन या किसी और मांग को लेकर प्रोटेस्ट करना,आंदोलन करना इन सारी गतिविधियों को देख कर या ज़्यादा व्यस्त लोगों को ये सब सुनकर केसा लगता है? सोचिये थोड़ा ज़ोर डालिय...
यह जो दुनिया में हो रहा है और यह जो दुनिया में होता है यह सब " फज़ीता " ही तो है...