विचारो को जंग

किसी भी विचार में या कार्य में मतभेद होना आम बात है इसी तरह राजनेतिक रूप् से साम्यवादी होना या पूंजीपति होना या सामन्तवादी होना आम सी बात है मगर में एक सवाल पूछता हु की अगर आपकी विचारधारा में कोई खोट है तो क्या आप खड़े होकर उसे चुनौती देंगे ये गलत है क्या मिलेगी इतनी "आज़ादी" आपको?नही क्योंकि शायद आप उस विचारधारा के भक्त है प्रशंसक नही इसलिए ये सोचें भी न
चलिए दूसरी बात किसी भी विचारधारा पर पूर्ण रूप से यकीन नही करना जेसे मार्क्सवाद का में प्रशंसक हु परन्तु मुझे उसमे नास्तिक होना नापसन्द है और हा इससे न तो में नास्तिक हुआ और न ही ये मेरी तारीफ समझ लीजियेगा क्योंकि ये एक उदाहरण बस अगर इन चीज़ों का ध्यान रख कर चाहे किसी भी विचारधारा में जाये बेझिझक सवाल पूछ पायँगे और बुरे को बुरा कह पायँगे क्योंकि हम सिर्फ प्रशंसक हो "भक्त" नही।।

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