"राष्ट्रवादिता से मुलाक़ात"
में आज आपसे राष्ट्रवाद के मायने नही पूछ रहा हु, न ही मायने बता रहा हु बस एक स्तिथि बताऊंगा जो शायद आपके सामने बहुत कुछ पेश कर दूंगा....
में कनॉट प्लेस में घुम रहा था, जी हा कनाट प्लेस बड़ी बड़ी बिल्डिंग और महंगी गाडियों के साथ मॉडर्न और स्टाइलिश लोगों की भीड़ वाला इलाका जहा बड़ी तादाद में कई जोड़े साथ में थे, माँ बाप महंगी महंगी कारों में बच्चों को वाल्क पर चाट खिलाने आये हुए थे.
में अपने दोस्त के साथ वहा से घर की तरफ वापसी के लिए चल रहा था, तभी मेरी नज़र राजीव चौक मेट्रो के से कुछ मीटर दूर बेठी एक औरत पर पड़ी जिसे शायद देखें तो पास भी जाना न चाहे में भी उसे देखता हुआ निकल रहा था लेकिन मेरी नज़र उसके पास रखे सामान पर पड़ी में रुक गया और और उस औरत के पास गया.
मेने पास जाकर देखा तो वो गुब्बारें फुला रही थी, और एक गन्दी (समाज के लिए) बच्ची इधर से उधर फिर रही थी , में उस औरत के पास जाकर बेठा और मेने देखा की वो लगभग गन्दगी में बेठी थी, और एक बोरे पर बेठी जिसपर कुछ गुब्बारे रखे थे, खैर मेने पूछा ये गुब्बारा कितने का है? वो बोली "20 रूपये का है" मेने कहा एक फुला कर दिखाओं उस औरत ने ऐसा ही क़िया.
जब वो गुब्बारा फुला रही थी में उसे और उसके हुलिये को देख रहा था वो बिलकुल ऐसा था मानों कोई मज़दूर औरत हो उसके ऊपर मेल जमा हुआ था वो पसीनों ने लतपत थी उस औरत को औरत को देख कर दिल पसीज जाये. ख़ैर मैनें पूछा यही काम करती हो आप वो बोली " हा भैया पेट भरने को यही करती हु" मैनें पूछा ये बच्ची आपकी ही है बोली "हाँ इसी के लिए तो कर रही हु मेरा एक बच्चा पान बेचता है" मेने पूछा गुज़ारा चल जाता है? बोली मिल बाँट के हो जाता है? में आगे कुछ नही बोल पाया मेने पूछा गुब्बारा खराब तो नही है "बोली नही भैया अगर परेशानी हो इसमें तो ले आना" में चुप रहा और बीस रूपये उस औरत को देकर शुक्रिया कह कर बढ़ गया वो बोली शुक्रिया बाबू जी...
ये बात मैनें इसलिये नही बताई की आप इमोशनल हो जाये,आप अपने आंसुओं को ज़बरदस्ती साफ़ करें या इस पोस्ट को शेयर कर दूसरों पर चिपका दे, मेने ये सिर्फ इसलिए बताई है क्योंकि ऐसी न जाने कितनी औरतें चौराहों पर,रेलवे स्टेशन पर, बस स्टैंड पर क्यों मिल जाती है?? में उन नेताओं ,उन मीडिया एंकर्स से से पूछना चाहता हु जो राष्ट्रवाद का तमग़ा अपनी ऊपर की जेब में रखते है ऊपर से नीचे तक राष्ट्रवाद साबित करने के लिये ज़ोर लगाते है तो बताइये की ये क्या है? ये क्यों है? कब तक ये औरतें इस तरह अपनी ज़िन्दगी गुज़ारती रहेंगी?
मुझे पता है आपके पास जवाब होगा भी नही क्योंकि हो सकता है आप इसका नाम जानने के इच्छुक हो और जाति और धर्म जानकर कुछ और मुद्दा बना लेंगे क्योंकि फायदा उसमे है होता हो लेकिन मेरे लिए ये औरत भारत माता है ,बल्कि हर ग़रीब,परेशांन औरत भारत माता है और देश का हर गरीब नागरिक देशभक्त क्योंकि कम से कम ये लोगों को बाँट नही रहे है, दंगा नही कर रहे है,फसाद नही कर रहे है और सबसे बेहतर है... इसलिए इस राष्ट्रवाद को सलाम..
(ये तस्वीर असली है)
Comments