"गाँधी" जो आज भी जिंदा है...


आज "गांधी" का दिन है,उसी गांधी का दिन जो गांधी का दिन ज़क गांधी देश की आत्मा में बसे है,देश के ख्याल में बसे है और तहज़ीब में बसें है,असल मे आज गांधी के हर एक स्वभाव को याद करने का दिन है जो गांधी जी ने हमेशा अपनाया,क्योंकि आज अगर इसे देश का सबसे ज़्यादा किसी चीज़ की ज़रूरत है तो वो "गांधी" ही है,क्योंकि गांधी बेशक यहां से चले गए थे,लेकिन गांधी यहां हमेशा से जिंदा है और ये भी मत भूलिए की जिस दिन इस देश से "गांधी" खत्म हो गए,उस दिन शायद ये देश ही  न रहें।


गांधी असल मे उस शख्सियत का नाम है जो "बहादुर" थे,इतने बहादुर की अपनी मामूली कद काठी और कमज़ोर जिसमे के साथ अंग्रेजों की हुक़ूमत के सामने खड़े हो जातें थे,और उनकी आंखों में आंखों को डालकर कहते थे "अंग्रेजों भारत छोड़ों",इस बहादुरी जैसी मिसाल शायद ही मिल पाए,लेकिन हां वो सकतें थे वो "गांधी" थे,वो बिना हिंसा,बिना पलटवार के "असहयोग आंदोलन" कर सकतें थे,ये बहुत सोचने की बात है कि क्या ये इतना आसान है? यक़ीन मानिये नगी है आसान लेकिन वो गांधी थे कर सकतें थे।

असल मे गांधी वो नही थे सफेद कुर्ता पायजामा पहनते हो,उस पर अचकन पहनते हो और महंगे घर मे रहते हो,गांधी असल मे वो थे एक धोती में रहते थे,एक कपड़ा लपेटें रखते थे और एक लाठी अपने साथ रखते थे,और उसी में झुकी क़मर के साथ खड़ाऊ में पैर डालें हुए क़दम से कदम आगे बढ़ाते हुए अहिंसा के साथ अंग्रेजों से कहते थे "आपको जाना होगा,ये देश छोड़कर ये तो बहुत मामूली सी मिसाल है उस सिद्धान्त को जिसे "गांधी" हमेशा के लिए जिंदा कर गयें ।

मोहनदास करमचंद गांधी की ज़िंदगी असल मे एक सिद्धान्त है,अहिंसा का,आन्दोलन का,शांति का सवालों का और शांतिपूर्वक विरोधों का,यही वजह है कि गांधी को एक शख़्स ने मार तो दिया था,मगर गांधी मारें नही गए,आजतक ज़िंदा है हर एक जगह हर शांति प्रतीक में और दिलों में,और ये सब इसलिए क्योंकि आज गांधी के देश का मुकाबला गांधी के सिद्धांतों के खिलाफ लड़ने वालों से है,और गांधी ही वो वजह है जिसकी वजह से आज "सवाल" ज़िंदा है,और शांति के साथ अपनी बात रखना आज भी जिंदा है ।


आज गांधी जयंती पर एक चीज़ की पूरी कोशिश करिये की इस देश मे "गांधी" ज़िंदा रहें,हां विरोध करिये पढिये,समझिये और बात करिये गांधी के सिद्धांत पर ,सही या गलत कहिये मगर समझिये लेकिन गांधी को मरने मत दीजिये क्योंकि अगर "गांधी" का विचार न बचा तो जो विचार  बचेगा वो वही होगा, जो "गांधी" की हत्या कर गया था ,समझियें और खुद ही फैसला करिए की क्या बचेगा अगर इसे देश में "गांधी" न बचा तो ......क्यूंकि अगर आज ये देश चल रहा है तो गांधी के सिद्धांतों पर विचारों और सीख पर,और गांधी वहीँ है जो आज भी जिंदा है.....


असद शैख़...

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