विपक्ष में "युवा तुर्क"

 आज बिहार में भी "एनडीए" की सरकार बन गयी है महागठबंधन का नाता तोड़ नितीश साहब भाजपा के साथ मिलकर छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गये है,और बिहार की जनता के "सम्प्रद्यिक" ताकतों के खिलाफ दिए गए बहुमत को छोड़ चलें गयें है ,खैर ये तो राजनीति है यहाँ इतना बहुत चलता है,लेकिन नितीश बाबु ये भूल गयें है की सत्ता हमेशा नही होती है और चुनावों में तो उन्हें आना ही होगा तब क्या स्थिति होगी? और बात को दूर तक न ही खिंच कर आने वाले लोकसभा चुनाव की ही बात पर ध्यान दे तो नितीश कुमार ने उभरते हुए "विपक्ष" पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है,मगर गौर करने की बात ये है की उत्तर प्रदेश,बिहार और राष्ट्रीय ऐतबार से भी अब विपक्ष में 'युवा तुर्क' आने वाले चुनावों में एक नयी इबारत लिखने को तैयार है,ये युवा तुर्क कोई और नही बल्कि ये "युवा तुर्क" विपक्ष में राहुल गांधी,अखिलेश यादव और अभी अभी नये नये नेता तेजस्वी यादव विपक्ष की ताकत को बढ़ा रहें है जो देखा जाना दिलचस्प होगा,लेकिन इस विपक्ष की स्थिति क्या है इस पर गौर करतें है |

राहुल गाँधी- कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कांग्रेस परिवार के सिपहसलार राहुल गाँधी के लिए ये चुनाव चुनोतियों से भरा होगा क्यूंकि,पार्टी ज्यादातर चुमाव हारी है और संगठन भी काफी कमज़ोर हुआ है और इससे उभर पाना बड़ी चुनोती है लेकिन अच्छी बात ये है की पंजाब जेसे राज्य में राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस कामयाब भी हुई है और राहुल में परिपक्वता भी बढ़ी है और आने वाले राजनेतिक हालात में राहुल नयी भूमिका में नजर आ सकतें है,और इस "युवा तुर्क" विपक्ष में अजम किरदार निभा सकतें है |

(तस्वीर स्रोत जागरण)
अखिलेश यादव- उत्तर प्रदेश जेसे बड़े बड़े राज के मुख्यमंत्री रहें है और अब "नेता जी" से राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी ले चुकें है,और अपने युवा जोश का जलवा उत्तर प्रदेश के युवाओं पर दिखा चुकें है,लेकिन अपने नेतृत्व के पहलें ही चुनाव में हार जाने के बाद अखिलेश जरा कमज़ोर पड़ें है,और पार्टी का लगभग दो धड़ों में बंट जाना उनकी चिंता का विषय है,मगर अखिलेश ने अभी सत्ता ही खोयी है मौकें नही उनके सामने बहुत मोकें पड़ें है,और सबसे ज्यादा अहम है आने वाला लोकसभा चुनाव और वो भी तब जब "बहन जी" के साथ गठबंधन लगभग तय है,तो आने वाले राजनेतिक हालात में "युवा तुर्क" पैनल में अखिलेश यादव पूरी तरह फिट बैठते हुए नजर आएँगें |

तेजस्वी यादव- तेजस्वी ये शायद सबसे ज्यादा युवा उपमुख्यमंत्री रहें है और अब बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता है,सत्ताईस साल के युवा तेजस्वी बहुत ही तेज़ी से बिहार में "नेता" बन कर उभरें है,पिछले दो ही साल में सत्ता से लेकर विपक्ष तक का सफ़र ये तय कर चुकें है और अपने आत्मविश्वास से तेजस्वी ने सबको कायल किया है,लेकिन अपने उपर और पिता तक के उपर लगे आरोपों का बोझ भी तेजस्वी के लिए काफी भारी है और इसे साथ में लेकर अब तेजस्वी यादव को आगे का सफर तय होगा,और अगर सभी आशंकाओं को सही माने तो ये भी 'युवा तुर्कों' की टीम में शामिल होंगे |

ये तीनों राजनेता राजनीति की दूसरी पीढ़ी है और मजबूत होकर अपने अपने दलों के साथ खड़े भी है और गौर करने वाली बात या है की अब नही तो आने वाले विधानसभाओं के चुनावों में और आने वालें लोकसभा के चुनावों में यदि ये तीनों दल परिक्वता के साथ अपना लोहा मनवाते है और अच्छी सूज्बूझ के साथ ज़मीनी स्तर पर काम करतें है तो इनका एक हो जाना भाजपा के मिशन के लिए गले की हड्डी साबित हो सकता है |

 वो भी तब जब इन तीन "युवा तुर्कों" के राज्य या राष्ट्रीय आधार पर पकड़ कम से कम 200 से 250 लोकसभा सीटों तक का पड़ता हो,तो ये स्थिति देश में मजबूत विपक्ष और "युवा तुर्क" पैनल के लिए बहुत बेहतर होगी ,बाकी तो देखते रहियें ....क्यूंकि फ़िलहाल भाजपा के पास फ़िलहाल सभी चीज़ों का रामबाण "मोदी" है जो शायद इतनी जल्दी न हारें बाकी ये मुकाबला दिलचस्प ज़रूर होगा...

असद शैख़






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