"बहन जी रिटर्न्स"

आज एक तस्वीर राज्यसभा ने नज़र आई,ये तस्वीर थी तो आज ही कि मगर बिल्कुल पच्चीस से तीस साल पुरानी लग रही थी,क्योंकि यहां "बहन जी" उसी अंदाज में बोल रही थी जिसमे वो बोला करती थीं, जिसमे "अपने समाज" के लिए सवाल किया करती थी और अपने समाज के साथ खड़ी रहा करती थी।

मायावती जी आज सदन में बोली और ऐसा बोली कि सदन के एक एक मेम्बर ने उन्हें देखा,अब इस घटनाक्रम के सही और गलत को छोड़ कर अगर नज़र घुमाएं तो असलियत सामने यूँ आती है कि आज जो सदन में बोल रही थी वो मायावती वो थी जो आज से तीस या पच्चीस साल पहले बोला करती थी,यानी दहाड़ा करती "बामसेफ" के लिए, हर एक उत्तेजक नारा लगाया करती थी और बेझिझक, बेबाक़ और निडर होकर "अपने समाज" के लिए बोला करती थी,आज सदन में नज़र आने वाली तस्वीर ऐसे ही नही थी ये तस्वीर,बहुत बड़ी थी क्योंकि ये 'बहन जी' को वापस लायी है ।

इस तस्वीर ने एक नई हलचल पैदा कर दी है और कई बातें सामने रख दी है कि क्या बहन जी फिर से ज़मीन पर उतरेंगी? क्या फिर से "डीएस फ़ॉर" को साथ जोड़ने की क़वायद तेज़ करेंगी? क्या फिर से "दलित पुत्री" बनने की कोशिश शुरू करेगी? और अगर वे बातें है तो फिर से एक माहौल सामने आएगा,क्योंकि 'बहन जी' जिस फॉर्मूले को जानती है समझती है अगर वो सामने आता है तो बड़ा बदलाव सामने आ सकता है।

दरअसल मायावती की पार्टी और स्थिति अब तीसरे नम्बर पर आ खिसकी है,और अगर ऐसे ही हालात रहें तो शायद वो खत्म हो जाएं, इसलिए ये "बयान" उन्हें उनके दल,उनके कार्यक्रताओं को एक नई ऊर्जा देगा ओर ताक़त प्रदान करेगा,और अब  मायावती जी इस्तीफा देने के बाद  संगठन को मज़बूत करती है तो उनके पास बड़ा वक़्त होगा,अपने लिए और सम्भलने के लिए जो "ब्राह्मणवाद" के बाद विरुद्ध खड़े होने में सहायक होगा।

इससे भी ज्यादा ध्यान देने की बात ये है की मायावती उस वक्त  में बोली है जब कोई "विपक्ष" की तरह दिखने को तैयार नही है तो इससे ये सिद्ध हो जाता है मायावती के दिमाग में कुछ और चल रहा है लेकिन फिलहाल राजनीति के लिये तो बस "बहन जी रिटर्न्स" हुई है |

असद शैख़ 

 

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