कश्मीर..
1947 से लेकर और आज 2016 तक जिस मसले का हल अब तक नही निकल पाया है वो है "कश्मीर" का मुद्दा कश्मीर के महाराजा के भारतीय संघ में शामिल होने के ऐलान के बावजूद भी इस पर अब तक विवाद बना हुआ है जिसकी कई वजहों में से एक वजह है हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान यहाँ आतंकवाद को कबाइलियों से लेकर अब तक स्मर्थन कर रहां है, लेकिन कश्मीर पर कोई हल न होने की वजह कश्मीर की 90 प्रतिशत आबादी का एक ही मज़हब का होना भी है ये एक काला सच है।
अब की खड़ी हुआ बड़ी समस्या है आतंकी बुरहान की मौत के बाद का तनाव तकरीबन 15 दिन से अब तक पुरे कश्मीर में तनाव बना हुआ है,हालात ये बने हुए है की एक तरफ सेना पैलेट गन का इस्तेमाल कर रही है और दूसरी तरफ कश्मीर के कुछ लोग पथरों का अब वहा क्या चल रहा है इस बारे में पूरी जानकारी होना तो लगभग नामुमकिन सा है क्योंकि वहां मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर पाबन्दी लगायी गयी है। लेकिन समस्या इसके बाद खड़ी होती है जब सेना की कार्यवाही के बाद वहा होने वाले घायल और मृत लोग जिस को लेकर सोशल मीडिया से लेकर मीडिया में एक बड़ी बहस शुरू हो गयी है।
सोशल मीडिया पर लोग 2 तबकों में बंट गए है एक जो बुरहान के साथ साथ पुरे कश्मीर में हो रही सेना की हर गलत ये सही बात को जस्टिफाई कर रहे है, और दूसरा तबका वो है जो बेगुनाह कश्मीरियों पर हो रही कार्यवाही की घटनाओं की निंदा कर रहे है और सरकार से लेकर सेना को दोषी ठहरा रहे है ,वेसे तो सवाल ये भी समझने का है सेना की इज़्ज़त हमे सब को करनी चाहिए और उसके साथ खड़े रहना चाहिए लेकिन ये भी याद रखना चाहिए की सेना ही लोकतन्त्र नही है सेना लोकतन्त्र ला हिस्सा है और उसकी किस गलत घटना को गलत कहा जा सकता है हा ये बिलकुल है को सेना सर्वमान्य है और कुछ गलत मानसिकता के लोगों को वजह से हमारे वीर जवान दोषी नही होते लेकिन हां कश्मीर में आतंकियों के गुनाह की सज़ा बेगुनाह कश्मीरी भुगत रहे फिर चाहे वो पैलेट गन का इस्तेमाल से ही क्यों न हो।
कश्मीर और उसके मसले का हल जिस तरह बैठ कर किया जा सकता है ठीक उसी तरह हमे कश्मीर के साथ रहते हुए सेना के साथ खड़े रहकर और साम्प्रदायिक सोच के साथ साथ आतंकवाद के ख़िलाफ़ खड़ा होना होगा तब ही कश्मीर का हल मुमकिन है, लेकिन हम कर इसके उलट रहे है हम कश्मीर मसले पर दो धड़ों में बंट रहे है और आतंकियों के नाम पर कश्मीर को गालियां दे रहे और हद तो तब हो गयी जब कश्मीर में हो रही मौतों को विकेटों का नाम दिया जाने लगा है अफ़सोस हम इस तरह सिर्फ आतंकियों का काम आसान कर रहे है अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इस अनसुलझे मसले को मिलकर सुलझाना चाहिए क्योंकि कश्मीर का ये विवाद न जाने कितने बेगुनाहों को निगल चूका है और अगर हालात यही रहे तो और बेगुनाह मारे जाएंगे और ऐसा होना देश को अखंडता पर सवालिया निशान है।।।
#वन्दे_इश्वर्म
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