सेंसर या गुंडा??

पहले हुई फ़िल्म तैयार,फिर हुई चेकिंग फिर हुआ कई दर्जन कट्स का ऐलान क्योंकि या तो फ़िल्म का मामला किसी राजनेतिक पार्टी से जुड़ा है या किसी राज्य सरकार की नाकामी से जुड़ा और कुछ भी न हो तो सबसे ज़्यादा हाईलाइट होने वाला मुद्दा धर्म आड़े आ गया यानी कुल मिलाकर फ़िल्म वही रिलीज़ होगी, जो फालतू के गाने बिना कहानी और कुछ वाहियात अभद्र संवादों का मेल हो , और अगर कोई गम्भीर मुद्दा हो,ढंग की बात हो या समाज के लिए असल मायने वाला हो तो सब को नज़रअंदाज़ कर दिया जायगा अब इसे सेंसर बोर्ड कहे या गुंडा बोर्ड?? क्योंकि अपनी ज़बरदस्ती चलाना तो गुंडई ही है....

ताज़ा ताज़ा गर्मी खायी गयी थी फ़िल्म "उड़ता पंजाब" पर जी हा मामला ये था की फ़िल्म जब सेंसर बोर्ड के पास गयी थी तो उसमे इतने कट्स करने को कह दिया की एक छोटी फ़िल्म बन जाये, असल में उड़त पंजाब उत्तर के सबसे ज़्यादा कृषि प्रधान  देश में बढ़ती नशे की समस्या को उजागर करती है लेकिन धत तेरी की वहा तो बीजेपी और शिरोमणि दल की सरकार है और इसके बाद हो गयी इस मुद्दे पर सियासत शुरू हालात तब और भी बदतर हो गए जब उड़ता पंजाब के प्रोड्यूसर और पहलाज निहलानी सामने आ गए ।।

देश के सेंसर बोर्ड अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने एक गंभीर फ़िल्म निर्माता पर आम आदमी पार्टी से पैसे लेकर इस फ़िल्म को बनाने का आरोप तक लगा दिया और तो और अपने आप को बीजेपी का चमचा कह दिया ,फ़िल्म को रिलीज़ करने के लिये कोर्ट का सहारा लिया गया और फ़िल्म रिलीज़ तय हो गयी मगर फ़िल्म लीक हो गयी, लीक हुई फ़िल्म पर सेंसर लिखा हुआ पाया गया फ़िल्म सेंसर से लीक हुई या नही ये जांच का मुद्दा है मगर एक अच्छी कहानी और गम्भीर मुद्दा सियासत की झोली में चला गया और हमेशा की तरह नुकसान आम जनता का हुआ।।

ऐसा पहली बार नही है की जब सेंसर ने किसी फ़िल्म पर पाबन्दी लगायी ऐसा अक्सर होता रहा है चाहे नंदिता दास की वाटर ,कामसूत्र से लेकर फ़िराक़ हो सब पर अशलीलता फ़ैलाने और समाज को बाँटने का नाम दिया गया लेकिन ऐसा ही है तो ग्रैंड मस्ती,क्या कूल है हम इसी तरह की भद्दी और गैर ज़रूरी फिल्में क्यों रिलीज़ कर दी जाती है?? क्यों उन पर पाबन्दी लगती क्यों?? क्यों समाज में "हन्टर" जेसी फ़िल्म रिलीज़ कर दी जाती है?? क्यों क्योंकि सेंसर बोर्ड को सिर्फ अपने मतलब की बुराई नज़र आती है या पहलाज निहलानी के अनुसार सेंसर बोर्ड चमचा है?? पता नही बात क्या है मगर सियासत के चक्कर में असल सिनेमा खो गया है और अगर इसे ही कहा जाता है गुंडई....


 

Comments

Popular posts from this blog

असदुद्दीन ओवैसी जिनकी राजनीति सबसे अलग है...

क्या है कांग्रेस की पॉलिटिक्स ?

सर सैयद डे की अहमियत...