इरफ़ान ,बयान और सवाल.

किसी भी मामले को तोड़ मरोड़ कर पेश करना या उसका अपनी तरह इस्तेमाल करने का खेल आजकल मुख्य रूप से फेसबुक और ट्विटर पर चल रहा है,और मामले इतने संजीदा हो जाते है इनका संप्रद्यिकरण तक किया जाता है,और इस बार निशाने पर है इरफ़ान खान का बयान आइये उस पर कुछ जानते है।।

इरफ़ान खान ने अपने बयान सालाना क़ुरबानी को लेकर दिए गए बयान में कहा की "क़ुरबानी का मतलब महज़ 2 बकरें लाकर कुर्बान करना और उन्हें खाया जाना नही है बल्कि उसका मतलब है अपनी अज़ीज़ चीज़ को कुर्बान करना है,और क़ुरबानी का मतलब समझ कर क़ुरबानी करना है और गरीबों को अपनी क़ुरबानी का मांस बांटे" ये कुछ बातें बिलकुल उस असल धारणा से जुडी है जो इस्लाम की है।

इरफ़ान खान हो या अलग कोई खान हो जो भी एक पैटर्न से हटकर बोलता है उसपर एक भीड़तंत्र वाले डंडा लेकर चढ़ जाते है और तैयार हो जाते है अभी इसकी गर्दन तोड़ देंगे फिर आप बताइये कोन सी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की बात करते है आप? जब उस में धर्म,कथित राष्ट्रवाद और जाति आ जाती है।।

हाल ही में आये कई बयानात में 2 बात एक सी है और वो ये हैं की इन तीनों के बयानात को न ठीक से पढ़ा गया न ठीक से जाना गया और न ठीक से बोला गया बस इस पर दिमाग़ी तौर पर सूरमा कुछ लोगों ने अपने मतलब की बात को लेकर गालियां बरसानी शुरू कर दी,उनकी किसी फ़िल्म के दृश्य को लेकर मज़हब सिखाना शुरू कर दिया ये सब क्या है? और तो और कुछ साम्प्रदयिक सोच वालो ने इसे भी हथियार बना लिया है जो फ़ूहड़ सोच का नतीजा है।

में इस बहस में पड़ना ही नही चाह रहा की बात गलत है या सही है वो आप खुद फ़ैसला कर लें मान लो सही है तो क्या आप उस सही बात को अमल में लाओगे? नही बिलकुल नही और अगर गलत है तो तूम उन्हें गरिया कर कोनसा पाक काम कर रहे है? आप भी तो बदतमीज़ हो गए हो या वही है बदतमीज़ ।।

सवाल अब भी वही है की अगर इरफ़ान खान के क़ुरबानी वाले बयान का मतलब या मौज़ू आप समझ नही पाये तो क्या आपने किसी बेहतर से समझने की कोशिश की?नही बस लग गए लाइन एक ने दो दी गाली तुमने 4 दी गाली मेरे हिसाब से अगर इरफ़ान साहब ने कुछ गुनाह किया है तो तुम इस तरह की अपंग,जहालत का मुआयना कर उससे बड़ा गुनाह कर रहे हो...

क्योंकि इसलाम की किसी भी धारणा को हमे बेहतर से यदि कोई भी समझाता है तो हमे उसे समझना चाहिए न की गलत धारा में बहे चला जाना चाहिए।

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