फ़र्क़ जानिए

"ये मेरे प्यार की निशानी है में इसे नही मारूँगी" ये प्यार की बात और कोनसे प्यार की बात हो रही थी इसे जानने से पहले आप को कुछ और जान लेना ज़रूरी है की हमे मॉडर्न होना है तो हमे क्या क्या करना चाहिए वरना हम लोग पिछड़े, अनपढ़  और गंवार हो जायेंगे तो वो है शराब पीनी शुरू कर देनी चाहिए ,हमे कपड़ो को छोटा पहनना पहनना चाहिए कभी कभी न भी पहनो तो चलेगा और हा फिर लगभग बिना कपड़ो की लड़की को देखकर हमे "ओ सेक्सी" कह देना चाहिए और शराब और नशे में धुत होकर या तो हमे पब के बाहर पड़ा हुआ रहना चाहिए या तेज़ ड्राइविंग करते हुए किसी फूटपाथ पर सोते परिवार को कुचल देना चाहिए या एक और तरीका है हमे लड़के और लड़कियो को बदल बदल कर सेक्स करना चाहिए तब जाकर हम "मॉडर्न" हो पाएंगे समझे, सोच तो रहे ही होंगे आखिर ये चन्द वाक्यो में मेने क्या क्या लिखा है और बताया है ये सब जो मेने लिखा है और बताया है ये एक ऐसा सच है जिसे हम कही न कही कभी न कभी मॉडर्न होने के नाम पर, स्वतन्त्रता के नाम पर इस्तेमाल कर रहे है या यु कहे की ये कथित आज़ादी का ब्रांड बन चूका है और आपको शायद पिन की बराबर हैरत भी हो की ये सारी चीज़ें या सारे काम ज़्यादातर शहर की रातों में ,रंगीन मिजाज़ महंगी चाशनी में डूबे नौजवानो के ज़रिये ही होता है और ये सब कथित आज़ादी के नाम पर हो रहा है हो सकता है कुछ लोग पुराने विचारो वाला कहकर नैरो माइंडेड हो कहकर मुझे गलत ठहराए लेकिन अगर मॉडर्न होना ये है तो ये सबसे बड़ा कलंक है ।

चलिए शुरुआती बात पर यानी मेरे प्यार की बात पर आते है दरअसल ये लफ्ज़ थी एक 17 साल की नवयुवती के मुंख से कुछ इस तरह निकले और अपने अंदर पता नही क्या क्या समेट कर लेकर गए और मेरे कानो को सुन्न कर गए लेकिन में फिर वापस लौटा और पूरी बात सुनकर ख्वाबो की दुनिया की तरफ जाने को मजबूर हो गया की उसके 19 वर्षीय कथित आशिक़ और उसके बीच बने सम्बन्धो के परिणाम को वो प्यार का नाम दे रही है और तेरे संग और क्या कहना जेसी फिल्मो से जस्टिफाइ कर रही है अब आप बताइये क्या ये उचित है ?अनुचित है? ऐसा होना गलत है या नही ? बिलकुल नही इंसानी सिफ़्तात और मिजाज़ इस बात की इजाज़त दे ही नही सकते है लेकिन कुछ की राय कुछ अलग है जेसे पाकिस्तानी लेखिका की सुन लेते है उनका कहना है शादी से पहले सेक्स की परमिशन मिलनी चाहिए और पाकिस्तान(उनका मुल्क) इस बात की इजाज़त नही देता है तो वो कट्टर है और वो अपनी सेक्सुअल लाइफ के बारे में लिखती है की उन्होंने अलग अलग मर्द बदलकर न जाने कितने ही मर्दों के साथ सेक्स किया है और इस बात की इजाज़त मिलनी ही चाहिए ये हर एक महिला और पुरुष का हक़ है अब आप गौर से पढ़िए की किस बात को हक़ कहा जा रहा है और क्यों ऐसा सिर्फ इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि उन्हें अपनी लाइफ में सेक्स चाहिए एन्जॉय चाहिए लेकिन क्या आप इस बात की इजाज़त दे पाएंगे ? वो तो छोड़िये इस लेख के और इस सोच के समर्थन में लाखो लोग उतर आये और लाखो लोगो ने कहा जी बिल्कुल मिलनी चाहिए इजाज़त और पाकिस्तान कट्टर मुल्क है मेने भी जब इस बात का विरोध किया तो मुझे भी नैरो माइंडेड कहा गया।

चलिए मना करने वालो को और उस लेख का और उस सोच का विरोध करने वालो को और हम जेसो को तो छोड़िये अब सवाल उन लोगो से है जो इजाज़त दे रहे है की आप शादी से पहले सेक्स,कई मर्दों से सेक्स को समर्थन कर रहे है तो आपसे ये पूछना चाहूँगा की अगर इस सब के बाद कोई औलाद होगी तो आप उसका क़त्ल(एबॉर्शन) नही कराओगे? और उसके बाप का पता कैसे लगाओगे ? वो भी छोड़िये क्या आप इस रेस में अपनी बहन को डाल सकते हो? मुझे इस बात का पूरा यकीन है की कोई भी इन 3 चीज़ों में से किसी से भी सहमत नही पाओगे क्योंकि अब शायद ये बातें बुरी लगनी लगे जी हा हमारी दिक्कत यही है की हर मामले में हमारी सोच "बायस्ड" हो गयी है और हम कथित मोडर्निसशन की जंग मे शमिल होने के लिए या इसी का क्रन्तिकारी बन जाने की जल्दी में हामी तो भर देते है लेकिन सोचते नही लेकिन जेसे ही हमे पता चलता हम पछता जाते है हमे इस बात पर गौर करना चाहिए और सोचना चाहिए की जिसे हम मॉडर्न होने का नाम दे रहे है वो मॉडर्न होना नही धोखा है मर्द और औरत की बराबरी दोनों की शिक्षा जो असल में मॉडर्न होना है उसे हम भूल जाते है अब भी हमारे पास वक़्त गई सोचने का समझने का और जानने का भी कि हम किस तरह की सोसाइटी बना रहे है वरना एक फ़िल्म के संवाद की मिसाल देकर समझाता हु की "जिसे अपने पेट के बच्चे का नाम नही पता होता वो "बिच" होती है और जिसे अपनी औलादो को गिनती नही पता होती वो होता है "डॉग" उमीद है बात समझ आ गयी होगी की अल्लाह तालाह ने इंसान को अशरफुल मख्लूक़(सब प्रजातियों से ख़ास) क्यों बनाया है उसमे से एक वजह ये भी है तो अशरफुल मख्लूक़ ही बने रहिये किसी जानवर की सिफ़्तात लाना बेहतर नही।।।

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