बुर्खा,पर्दा और विवाद।।

ईमानवाले पुरुषो से कह दो की वो अपनी निगाहें नीची रखे और अपनी पाकदामिनि की हिफाज़त रखे"

ये दो लाइन्स क़ुरान शरीफ की आयत है और ये ईश्वर द्वारा अपने नबी(दूत) से कही जा रही है को मर्दों से कह दो की अपने निगाहों को नीची रखे ये आयत अपने में एक इतिहास है एक जवाब है जो चींख चींख के कह रहा है की पर्दा जो हर एक गैर इंसान से करना चाहए वो पहले मर्दों पर है अब आप मुझे बुर्खा ,पर्दा, हिजाब,घूँघट या अलग कोई बहस के बारे में कुछ भी कहे मुझे नही लगता इससे आगे या इससे अलग आपको बुर्खे को लेकर जवाब चाहिए हा ज़रूर ये है की अब ये तो सिद्ध है और प्रमाणित है की जिस बुर्खे को या पर्दे को हम सिर्फ और सिर्फ औरतो पर थोप रहे है  और इसको मनवाने की ज़िद में औरतो को हमने शिक्षा से व्यवस्था से दूर तक कर दिया है और अपने आप ज़िद पर अड़ गए है तो हमे ये ध्यान रखना चाहये और इस आयत को ज़ेहन में रखना चाहिए लेकिन ये आयत पहले मर्दों के लिए है बेशक ये सच है मगर आप मर्द ताक़तवर बाशऊर और पढ़े लिखे लोग चाहो तो इस बात को मत मानो और कानो में तेल डालकर सो जाओ और गरियाओं उन लोगो को जो ऐसा कहते है मगर इसे आपको मानना पड़ेगा और अपनाना पड़ेगा और अपनी निगाहों को नीचा रखना होगा अपनी फब्तियां कस्ती जुबां को बंद करना होगा और बाज़ारो से लेकर ऑफिसेस तक कॉलेजस से लेकर स्कूल तक जितनी लडकिया और महिलाओ से आप अपना कन्धा टकराते है घूर घूर कर देखते है "ओ सेक्सी" कहते है और हँसी ठहाके मारते है इन सबको बंद करना होगा और ईमानदारी से ये सब करना होगा क्या आप ये सब कर पाएंगे? क्या आप इन सब को मान पाएंगे क्या आप औरतो को बराबर इज़्ज़त दे पाएंगे पता नही शायद दे पाये शायद न दे पाये कितने परसेंट दे पाये कितने परसेंट नही मुझे नही पता लेकिन अगर इनमे से एक भी काम करना नही छोड़ देते है तो आप पर्दे की बात तो छोड़ दीजिये कुछ गलत करने वाली महिला को भी कुछ नही कह सकते है क्योंकि अब आप पढ़ने लिखने वाली समाज में जाइज़ काम करने वाली महिला पर भी फब्तियां कस्ते थे लफ़्फ़ाज़ी करते थे आप उनके सामने खुद ही नंगे हो जाओगे।।

चलिए ये तो बात हुई कथित तौर पर औरत द्वारा दिए गए नामो के अनुसार जाहिल, ज़ालिम और बेशर्म की मगर जिस तरह बात मर्दों की है ठीक उसी तरह औरतो के लिए भी यही हुक्म है की "औरतें अपनी निगाहें नीची रखे और और अपनी छातियो को ढांप ले" अब इसे जानने के लिए हम औरतो को 2 कैटेगरी में बाँट लेते है एक वो जो हिजाब में रहकर जी ह हिजाब यानी पर्दा बुर्का नही बल्कि बेहतर कपडे इस्तेमाल कर अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रही है और रूढ़ीवादी सोच के खिलाफ लड़ रही है जो सिर्फ पर्दे के नाम पर हर चीज़ को गलत ठहराने वाली सोच के खिलाफ लड़ रही है लेकिन दूसरी तरफ आज की वो महिला या लडकिया है जो अपने आप को मॉडर्न होने के नाम पर शराब ,नशा, हरामखोरी अय्याशी से लेकर सभी बदतरीन चीज़ों को हिजाब न पहनने से लेकर आज़ादी और मॉडर्न होने के अजीब फॉर्मूले से जस्टिफाई कर रही है में पूछना चाहता हु की ये कोनसा अजीब समाज है ये कोनसा मोडर्निसशन हैं जिसमे लड़कियो को ये न पता हो उनके पेट में नाजायज़ बच्चा किसका है? आखिर क्यों वो लगभग बिना कपड़ो के घुमने को आज़ाद कह रही है ? क्यों क्यों में कितन भी बार पुछु मगर मुझे मोडर्न होने का हवाला ,ऐश करने का हवाला या ओपन माइंडेड होने का हवाला दिया जायगा मगर में पूरी हिम्मत से और ईमानदारी से कहना चाहता हु की अगर आप बुर्खे, हिजाब को गलत कहकर ऐसा कुछ भी कहना करनी चाहती है माफ़ कीजियेगा हमारी बहने ,माएं नैरो माइंडेड ही सही पिछड़ी ही सही लेकिन अगर आप बुर्खे को हटाकर पर्दे में रहकर पढाई करना ,समानता लाना या और भी कुछ जाइज़ काम करेंगी तो बिलकुल वो सही होगा और अगर इसके बाद कोई छुटभैया दीन रक्षक, धर्म चलाने वाले आपको कुछ भी कहेंगे तो वो खुद ही गलत सिद्ध होंगे ।

ये दोनों बातें समाज और धर्म में रहने वाले औरतो से लेकर मर्दों तक की असलियत सामने लाने को काफी है और कथित समानता और आज़ादी का कवच तोड़ देता है और दूसरी तरफ उनकी आँखों से भी पर्दा हटा देती है जो पर्दा सिर्फ इसलिए चाहते है की औरत पढ़े न औरत अपना दीनी हक़ न जाने मगर अब सवाल सभी लोगो से पुरुषो से ,स्त्रीयो से समानता के बारे में लिखने और पढ़ने वाले समझने वाले बुद्धजीवियों से लेकर छात्रो तक और तमाम लोगो से की क्या हम ऐसे समाज को एडजस्ट नही कर रहे जहा अच्छा करने के नाम पर अच्छा भला ढोंग हो रहा है हमे इस बात को अभी तय कर लेना चाहिए की अगर बुर्खे,आज़ादी,समानता और तमाम चीज़ो की बाते हम कर रहे है और आज़ाद होने की बात कर रहे है आप बेशक बुर्खे को खत्म कर दीजिये और मॉडर्न हो जाइये पर्दे को भी खत्म कर दीजिये और हाँ कथित तौर मॉडर्न बन कर हर एक क्षेत्र में विभाग में स्कर्ट से लेकर टाइट कपड़ो तक सभी चीज़ों को आम कर दीजिये फिर क्या होगा सोचा है आपने? फिर नाजायज़ रिश्ते बनेंगे अय्याशी होगी ,बन्द कमरो में गुनाह होंगे और फिर मर्दों को और धर्मो को गालिया दी जायँगी और आगे क्या होगा में इस बात में नही जाना चाहूँगा में बस इतना चाहूँगा की आप कोनसी वजह से इन चीज़ों से जस्टिफाई करेंगे नही कर सकते है में बस इतना कहना चाहूँगा आप बुर्खे को न पसन्द करिये आज़ाद रहिये पढ़िए लिखिए और भी मदद कीजिये स्त्रीयो की मगर इन चीजो को कोई भी मत अपनाईये मर्द से लेकर औरतो तक सब को ये अपनाना होगा की पर्दा होना ज़रूरी है और अगर ऐसा नही कर सकते है या यूँ कहे अय्याशियों पर लगाम नही लगा सकते है तो आपको कोई हक़ नही किसी भी तरह के इस काम को करने का और सभ्य समाज को आग में जलाने का क्योंकि पर्दा ज़रूरी है इसलिए की मज़बूरी है बल्कि इसलिए क्योंकि ईश्वर ने दोनों को एक दूसरे के लिए अट्रैक्टशन बनाया है अब आप दोनों को पर्दे में रखने के लिए मुझे जाहिल, नैरो माइंडेड , या गंवार सोच का कहे मगर में आपकी बायस्ड चीज़ का समर्थन नही करूँगा।।

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