"उड़नछू"

बात मामूली सी है की मेरी एक जान पहचान वाली औरत है ,उनके हाथों की उँगलियों में परेशानी रहने लगी थी हद से ज़्यादा जिसकी वजह से वो घर का काम नही कर पा रही थी. काफ़ी डॉक्टर्स से मशविरा किया सबने दवाई दी और लम्बे इलाजी प्रोसेस की बात कही बरहाल वो परेशान बड़ी दिक्कतों से ही घर का काम करती रही तभी उनके घर उनकी दूर की एक रिश्तेदार आई .उस औरत का दिमागीं तवाज़ु ठीक नही था.

जिसकी हालात भी बेइंतेहा खराब थी,हुलिया बहुत गन्दा बाल मानो झाड़ियाँ और मैल जमा हुआ था हाथों पर और तो और सर में जुएँ बेइंतेहा हो रही थी जिससे ज़ख्म हो गए थे और उनके रिश्तेदारों उस औरत की तरफ देखना छोड़ दिया था और कोई देखें भी क्यों बरहाल उन्होंने उस औरत को खाना खिलाया और कहा साफ़ रहा करो ये केसा हुलिया बना रखा है? उस मासूम सी मगर कम अक़्ल औरत ने कहा "तू करदे साफ़" और उँगलियों में परेशानी होने के बावजूद उस औरत ने समाज के लिए गलीच औरत को नहलाया और नाइ को उस औरत को गन्जा करने के लिए बुलवाया.

नाई के अलावा मौहल्ले के दो लड़कों को भी मदद के लिए उसने बुलाया लेकिन नाई ने उस औरत की हालत देख कर कहा "ये काम हम नही कर सकते इतनी गन्दा काम नही करते" तो उन औरत ने कहा अरे कर दे बीमार है सवाब मिलेगा ज़्यादा पैसे ले लियों बरहाल वो नाई मान गया और उन 2 लड़कों ने उस औरत को पकड़कर बड़ी घिनियातें हुए उस औरत को गंजा करना शुरू किया बरहाल जब वो गंजी हुई तो उस औरत ने उस नाई को पैसे देकर भेज दिया.

फिर वो महंगे शैम्पू की शीशी लाकर खूब सारा शैम्पू से उस बीमार और कथित गन्दी औरत को नहलाया और ध्यान रखिये अपने ऊँगली न चलने नए वाले हाथों से ये काम किया, फिर नहला कर अपने कपडे पहना दिए, सर पर दुपट्टा बाँध दिया और कुछ पैसे भी दिए और कहा"खाला अब घर चली जाओ अब तो सर में परेशानी नही है" वो बीमार औरत रोने लगी..

रोते रोते उसने कहा "अल्लाह तुझे खुश रखे बहुत दे और जैसा तुने मुझे सुकून दिया है तुझे ताउम्र मिले" बस ये कहकर वो बीमार ,गलीच,काली ,बूढी औरत वहा से चली गयी लेकिन मेरी जो जानने वाली औरत थी उनके हाथों की दिक्कत आज तक सही है बिलकुल सही. इस बात को बताने का मामला सिर्फ इतना ही की किसी से भी घिन,नफ़रत या उसकी बीमारी तुम्हारे ऊपर आ जायगी इस डर को खत्म कर दो क्योंकि अगर ऐसा होता तमाम दुनिया के डॉक्टर मर गए होते अब तक क्योंकि सबसे ज़्यादा बीमारों के पास वही रहते है.

अगर बात शांति की प्रतीक  एक ऐसी औरत की करें जिसने अपनी ज़िन्दगी का बड़ा अरसा बीमारों और परेशानो की खिदमत में गुज़ारा जिन्हें हम मदर टेरेसा कहते है वो आज तक एक 'कौड़ी" होती क्योंकि उन्होंने सारी उम्र कौड़ की बीमारी से पीड़ित लोगों की खिदमत करी है. याद रखिये बीमारी आपके हाथ में नही है तो किसी से घृणा करने से या उसके पास जाने से उसकी बीमारी आप तक नही आयगी. बेशक़ अलग अलग चीज़े होती है बदलाव की बचाव की करिये मगर ऐसा कुछ नही जिससे बीमार या परेशान अपने आप को कमज़ोर समझे जाए गया गुज़रा समझ जाये ...

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